आधुनिक तकनीकी ले मछरी पालन करके आत्मनिर्भर बनिस तुलसीराम : उद्यानिकी फसल ले घलोक होही आमदनी

उत्तर बस्तर कांकेर, छत्तीसगढ़ शासन कोति ले किसान मन के आय बढ़ाए बर मछली पालन ल बढ़ावा देहे जात हे अऊ हितग्राही मन ल तालाब निर्माण बर सहायता घलोक प्रदान करे जात हे। चारामा विकासखण्ड के ग्राम रतेसरा के तुलसीराम नेताम तीर 19 एकड़ जमीन हे, जेमां ओ ह परम्परागत रूप ले धान के खेती करत रहिस। मछलीपालन विभाग के अधिकारी मन ले ओ ल मछली पालन ले जादा लाभ होए के जानकारी मिले म वो ह ये व्यवसाय ल अपनाए बर अपन खेत म तालाब निर्माण के संबंध म तकनीकी जानकारी लीस अऊ संपूर्ण औपचारिकता के पूर्ति के बाद ओ ल नीलक्रांति योजना के तहत् तालाब निर्माण के स्वीकृति प्राप्त हो गे, जेमां शासन कोति ले ओ ल 02 लाख 80 हजार रूपिया के अनुदान दे गीस। वो ह अपन ढाई एकड़ खेत म एक तालाब के निर्माण पूरा करके मछलीपालन के व्यवसाय चालू करिस।
किसान तुलसीराम ह बताइस कि पहिली साल म ही मछली पालन के फायदा ल देखत फेर 05 एकड़ म दू तालाब बनवाइस। ये प्रकार तीन तालाब म वो ह मछली पालन के काम करे जात हे, अभी हाल म कतला, रोहू, मृगल, कामनकार, तेलपिया, रूपचंदा आदि प्रजाति के मछली मन के 65 हजार नग मछली बीज डाले हे अऊ मछली ल दाना के रूप म परिपूरक आहार देहे जात हे, जेखर से मछली मन के बनेच बढ़वार होवत हे। ये प्रकार ले तुलसीराम नेताम मछली पालन के आधुनिक तकनीकी ल अपनाके 08 ले 10 लाख रूपिया तक के शुद्ध आमदनी प्राप्त करत हे। ओ ल 08 ले 10 फुटकर मछली विक्रेता मन ल घलोक सीधा रोजगार उपलब्‍ध करावत हे। तुलसीराम नेताम ह अपन तालाब के मेड़ म उद्यानिकी फसल जइसे- नारियल, आम, नींबू, संतरा, पपीता आदि के पौधा घलोक लगाये गये हे, जेखर से अकतहा आमदनी होही।

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