नारायणपुर म कोरोना ले बचावः जागरूक होइन माड़िया

मुन्ने कैय नोरीयना अचोटे गाटो तीन्ना मने पहले धोते हाथ फिर खाते भात

नारायणपुर, 13 अप्रैल 2020। पूरा संसार नोवल कोराना (कोविड-19) वायरस संक्रमण ले लड़त हे। ओखर रोकथाम अउ नियंत्रण अउ बचाव बर केन्द्र अऊ राज्य सरकार कोति ले जम्‍मो जरूरी उपाय करे जात हे। नारायणपुर जिला के धुर नक्सल प्रभावित ओरछा विकासखंड के अति संवेदनशील अउ नक्सल हिंसा ग्रस्त इलाका के अबूझमाड़िया (माड़िया) जनजाति के मनखे मन तको कोराना ले बचाव के बर अड़बड़ जागरूक, सजग अऊ सर्तक हो गए हें।

माड़ियां मनखे मन ले जब कोराना ले बचाव के संबंध सावधानी बरते के बात पूछे जाथे त उमन झट ले अपन भाखा म कहिथें के ‘‘मुन्ने कैय नोरीयना अचोटे गाटो तीन्ना’’ (पहले धोते हाथ फिर खाते भात) कोराना ले बचाव के बर इंकर ये जागरूकता अब धीरे-धीरे भीतर के इलाका मन के गांव म घलोक पहुंचे लगे हे। अबूझमाड़ के कोनो इलाका होवय चाहे वो थुलथुली सेक्टर के रेगावाड़ा होवय हतलानार, हांदावाड़ा, या पांगुड़ या कोनो अइसे अन्दरूनी गांव, जऊन चारो मुड़ा ले पहाड़ अऊ घना जंगल ले घिरे होवय। जिहां सूरूज के अंजोर घलोक जमीन ले मिले बर पेड़ मन ले इजाजत मांगत दिखथे। आदमी घलोक जाय के पहिली 10 पइत सोचथे। फेर इहां के अबूझमाड़िया कोरोना या आन गंभीर बीमारी के बर अड़बड़ जागरूक हो गए हें। ओ मन स्वच्छता म घलोक ध्यान देवत हें। ए मन ल जागरूक करे के पूरा श्रेय स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमला मितानिन, आरएचओ के तो हवयच, ऊंखर संग आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शाला आश्रम के शिक्षक शिक्षका मन के घलोक ये मां योगदान हे।

आलेख- शशिरत्न पाराशर के छत्‍तीसगढ़ी अनुवाद

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