रामाधार ह 40 बोरी जादा धान के अलावा आलू के खेती करके कमाइस 40 हजार रूपिया

कोरिया, 30 दिसम्बर 2020। महात्मा गांधी नरेगा के तहत बनाए जात छोटे-छोटे संसाधन घलोक स्थायी परिसंपत्ति के रूप म ग्रामीण परिवार के आजीविका के स्तर म बदलाव लाय म कारगर साबित होवत हे। मेहनतकश परिवार मन बर कोरिया जिला म बीते दू बछर म 652 ले जादा कुंवा बनाय गए हे। महात्मा गांधी नरेगा ले बनाए जात कुंवा या कहन के एक छोटकुन सिंचाई के साधन कोनो मेहनती किसान बर कतका लाभप्रद हो सकत हे एकर जीवंत उदाहरण बन गए हे ग्राम पंचायत ताराबहरा म रहइया रामाधार के किसान परिवार ह। मनेन्द्रगढ़ विकासखण्ड के ग्राम पंचायत ताराबहरा के जागरूक किसान रामाधार तीर खेत तो रहिस फेर सिंचाई के विकल्प नइ होए ले वो केवल बरसा उपर ही आश्रित रहिस। अइसे म असिंचित धान के फसल के अलावा वोखर तीर कोनो विकल्प नइ रहिस। करीबन पांच एकड़ के खेती होए के बावजूद एकर बर बारिस आधारित धान के खेती के अलावा कोनो आर्थिक उपक्रम नइ रहिस जेखर से ये साल भर कुछ आर्थिक लाभ ले सकयं। इंकर पास महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के काम मन म अकुशल श्रम के अलावा कोनो रोजगार के विकल्प नइ रहिस।

आर्थिक तंगी ले गुजरत रामाधार के परिवार ल ग्राम विकास के योजना बनाए बर आयोजित होए ग्राम सभा म एक अवसर उपलब्‍ध कराइस। ग्राम सभा ले प्रस्ताव पारित होए म इमन ल महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत एक कुंवां के स्वीकृति मिलिस। ये परिवार ह ये कुंवा म काम करके न केवल अकुशल श्रम के मजदूरी के लाभ लेहे के संगेच अपन बर नवा संसाधन मन के निर्माण घलोक कराए म सक्षम होइस। आलू के खेती के बीच एकर बेटा सुनील सिंह ह बताइस के हमार परिवार म कुल पांच एकड़ जमीन हे। जेमां ले एक भूभाग करीबन तीन एकड़ के हे। इहां ये परिवार ह महात्मा गांधी नरेगा के तहत एक लाख अस्सी हजार रूपिया के लागत के स्वीकृत कुंवा के निर्माण ग्राम पंचायत के सहयोग ले कराए गीस। ये कुंवां के निर्माण म अकुशल श्रम करे के बदला ये परिवार ल पूरा सौ दिन के रोजगार घलोक प्राप्त होइस जेखर से करीबन 18 हजार रूपिया के सीधा लाभ ये परिवार ल मिलीस। एखर बाद जब रामाधार के कुंआ बनके तियार हो गीस तो ये तीन एकड़ के क्षेत्र ल ये परिवार ह जाली अऊ तार के माध्यम ले घेरके सुरक्षित घलोक कर लीस।

रामाधार के सुपुत्र सुनील ह बताइस के खरीफ म धान के हाइब्रिड खेती करके ये पइत 15 क्विंटल उपज जादा होइस। एखर संगेच सिंचाई के साधन बन जाय ले सितंबर म ही आलू के बोनी कर लेहे ले एक सीजन म ही करीबन दस क्विंटल आलू के फसल घलोक तियार हो गीस जऊन ल करीबन 45 ले 50 रूपिया प्रति किलो के दर ले स्थानीय बाजार म बेचके परिवार ल 40 हजार रूपिया के मुनाफा घलोक होइस। मेहनत करके अपन दुसर फसल बर तैयारी म जुटे ये परिवार बर युवा सुनील ह बताइस के कुंवा ले मिले लाभ ले ही हमन एक सौर सुजला योजना के पंप घलोक लगवा लेहे हन। अब खेती आसान अऊ फायदा के काम हो गए हे। सबले जादा महत्वपूर्ण ये बात हे के अब दूसर मन के इहां काम करे के कोइ जरूरत नइ परिस। आलू के फसल के बाद ये परिवार अपन खेत मन म गेंहूं के फसल बोए के घलोक तैयारी करत हें। अवइया समय म इमन न गेंहू के फसल ले घलोक लाभ होही।

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