आलेख: छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरूवा, घुरुवा अउ बारी :  ग्रामीण क्षेत्र मन म आर्थिक गतिविधि शुरू

शशि रत्न पाराशर,  सहायक संचालक, जनसंपर्क के हिन्दी आलेख के छत्तीसगढ़ी अनुवाद

नारायणपुर 05 मई 2020। छत्तीसगढ़ राज्य बने के बाद घलव इहां के असली निवासी अउ रहइया मन ल विकास के वो लाभ नइ मिल सकीस, जेकर ओ मन असली हकदार रहिन। गिरत भू-जल स्तर, खेती म लागत के बढ़ोत्तरी, मवेशी मन बर चारा संकट आदि ह स्थिति ल अऊ भयावह बना देहे हे। साल 2019 के आखरी महिना म नवा सरकार के गठन के बाद ले, ये छत्तीसगढ़ अइसन बदलिस के गांधी के सिद्धांत म चले  लागिस।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ह प्रदेश के बागडोर संभालतेच नारा दीस – छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरूवा, घुरुवा अउ बारी एला बचाना हे संगवारी। मने छत्तीसगढ़ के पहिचान बर चार चिनहा हे, नरवा, गरूवा अउ गौठान, घुरूवा (देसी खाद) अउ बारी-बाग-बगईचा, इकंर संरक्षण जरूरी हे। ए योजना के माध्यम ले भूजल रिचार्ज, सिंचाई अऊ आर्गेनिक खेती म मदद, किसान ल दोहरी फसल लेहे म आसानी हो गीस। पशु के उचित देखभाल सुनिश्चित होइस। परंपरागत किचन गार्डन अउ ग्रामीण अर्थव्यवस्था म मजबूती आइस अउ पोषण स्तर म घलोक सुधार देखे गीस। अब हम पुरातन संस्कृति अऊ सरोकार ल सहेज के रखे के काम कति घलोक लहुटत हन।

क़ोरोना वायरस संक्रमण के रोकथाम अउ नियंत्रण के चलत देशव्यापी लॉकडाउन के सेती छत्तीसगढ़ म ग्रामीण अर्थ व्यवस्था म वोतका फरक नइ परिस, जतका के आन राज्य मन म परे हे। अब छत्तीसगढ़ के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र मन म आर्थिक गतिविधि शुरू हो गए हे। ग्रामीण इलाका मन म मनरेगा, लघुवनोपज़ के ख़रीदी के संग तेंदूपत्ता ख़रीदी काम शुरू हो गए हे। जेखर से गांव वाले मन के आर्थिक स्थित म अऊ सुधार आही।

छत्तीसगढ़ शासन के महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा अउ बाड़ी के अंतर्गत नारायणपुर जिला के बात करन त इहां पहिली चरण म 15 गौठान बनाए के अनुमति दे गए रहिस। जेकर संख्या बढ़ के अब 50 ले जादा हो गए हे। जिला म 5 आदर्श गौठान बन गे हे। गरूवा कार्यक्रम के तहत नारायणपुर के ग्राम पंचायत भटपाल म गौठान बने ले लगभग 400 मवेसी मन ल आश्रय मिले हे अऊ अब सड़क म मवेसी मन के घुमई कम होय हे। गौठान म गांव वाले मन कोति ले चारा दान करे जात हे अउ संगे-संग मवेसी मन के उचित प्रबंधन, देखरेख बर ग्राम स्तर म गौठान प्रबंधन समिति के चयन तको करे गए हे, जे ह गौठान के संचालन चालू कर देहे हे। जेमां पशु अवशेष के वैज्ञानिक तरीका ले प्रबंधन करके गोबर ले आधुनिक खाद तैयार करे, गौ-मूत्र ले कीटनाशक तैयार करे अउ गौठान स्थल म कई प्रकार के आर्थिक गतिविधि संचालित हे। ग्राम गौठान प्रबंधन समिति के सदस्य मन के गौठान के संचालन करे ले अब मवेशी एक जगा सुव्यवस्थित रूप ले सकलाये रहिथें। मवेसी मन ले फसल सुरक्षित होए ले किसान घलोक निश्चिन्त हे, संगेच दुर्घटना मन म घलोक कमी आए हे।

ये योजना पूरा प्रदेश म लागू हे। बाड़ी लगाय बर मनरेगा ले सहायता देहे जात हे त उंहे स्व सहायता समूह मन ल महिला अउ समाज कल्याण के तरफ ले मदद देहे जात हे। ग्रामीण खुदे आगू बढ़के मदद करत हें। गांव मन म आवारा मवेशी के समस्या कम होवत हे, ए खातिर किसान दुसर अउ तीसर फसल लगाय ल लेके घलोक उत्साहित अऊ ललायित हें।

ए कार्ययोजना ले गांव के महिला स्वसहायता समूह मन अऊ युवा मन ल जोड़े जात हे। ए योजना ले पशु मन ले फसल बचाय बर खेत मन ल घेरे के जरूरत नइ परय, किसान मन ल जैविक खाद मिलत हे त उंहे कृषि लागत घलोक कम हो गए हे। मनखे मन ल रोजगार के अवसर घलोक मिलत हे। प्रदेश म पहिली चरण म दू हजार गौठान के निर्माण के स्वीकृति दे गए हे। अभी हाल म एकर संख्या म बढ़ोतरी करे गए हे। नारायणपुर जिला के बात करन त इहां पहिली चरण म 15 गौठान निर्माण के स्वीकृति रहिस, जे ह 50 ले जादा हो गए हे। जिला में 5 आदर्श गौठान बन गे हे।

योजना गरूवा के तहत आस-पास के ग्राम के किसान मन गौठान मन  बर स्वेच्छा से पैरा दान घलोक करत हें। किसान मन के ए काम के सराहना घलोक होवत हे। बाड़ी योजना म किसान मन के घर के बाड़ी म सब्जि अऊ मौसमी फल मन के उत्पादन ल बढ़ावा देहे जात हे। एखर से पौष्टिक आहार मिलत हे। उंहे शाला-आश्रम, आंगनबाड़ी केंद्र मन के ख़ाली परे ज़मीन म किचन गार्डन  तियार करके हरीयर सब्ज़ी-भाजी लगाए जात हे।

लउछरहा..