राष्ट्रीय जनजाति साहित्य महोत्सव : जल, जंगल अऊ जमीन के रक्षा बर आदिवासी समुदाय ह करे हे कई ठन आंदोलन

रायपुर, राजधानी रायपुर पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम म आयोजित तीन दिन के राष्ट्रीय जनजाति साहित्य महोत्सव के तीसर अऊ आखरी दिन देश के कई राज्य के भाग लेवईया मन ह शोध पत्र के वाचन करिन। आज पांचना सत्र म ’’जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी-भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन म इंकर संघर्ष, भूमिका अउ योगदान विसय उपर शोधार्थि मन ह शोध पत्र प्रस्तुत करिन। शोधार्थि मन ह अपन शोध पत्र म जनजातीय समुदाय कोति ले जल, जंगल अऊ जमीन के रक्षा बर ऊंखर त्याग अऊ बलिदान के विशेष रूप ले उल्लेख करिन।
आज शोध-पत्र के पठन करत मध्यप्रदेश ले आये डॉ मदन सिंह वास्केल ह महू क्षेत्र के आदिवासी क्रांतिकारी टांटिया के बारे म बताइस। मनखे मन ओला प्यार ले टांटिया मामा कहत रहिन। मामा अंग्रेज मन के खजाना ल लूटके गरीब मन ल बांट देत रहिन। समाज बर लड़इया मामा ल आज घलोक क्षेत्र के मनखे मानथें।
अइसनहे जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मन उपर आधारभूत व्याख्यान आचार्य रमेन्द्र नाथ मिश्र, अंजलि यादव ह भारत के सांस्कृतिक धरोहर जनजाति मन के स्वतंत्रता आन्दोलन म भागीदारी, गंगाराम कश्यप ह 1910 के भूमकाल क्रांति म बस्तर के आदिवासी क्रांतिकारी मन के भूमिका अऊ संघर्ष म चुनौति के योगदान, विनोद भगत ह जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी शहीद वीर बुधू भगत, करुणा देवांगन ह स्वतंत्रता आंदोलन म बस्तर के जनजाति के योगदान एक अवलोकन, डॉ सीमा पाल ह भूमकाल के सूत्रधार लाल कालेंद्र सिंह, डॉ डी एन खूंटे ह दक्षिण बस्तर म 1856 ई. के विद्रोह अऊ घुर्वाराव, ईश्वर लाल ह जनजातीय जागृति म जननायक हीरा सिंहदेव कांगे के योगदान – छत्तीसगढ़ के संदर्भ म (एक अनुशीलन), अजय कुमार चतुर्वेदी ह सरगुजा अंचल के जनजाति के स्वतंत्रता संग्राम म योगदान, निर्मल बघेल अउ आन ह जंगल सत्याग्रह म शहीद आदिवासी संग कई ठन राज्य मन के शोधार्थि मन ह अपन शोध पत्र प्रस्तुत करिन। सत्र के समय आदिम जाति अनुसंधान अउ प्रशिक्षण संस्थान के संचालक सह आयुक्त श्रीमती शम्मी आबिदी संग विभाग के अधिकारी घलोक उपस्थित रहिन।

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