विध्वंश के बाद पुनर्निर्माण के कहानी गढ़त हे जगरगुण्डा
रायपुर, सुकमा जिला के घोर नक्सल प्रभावित गाँव जगरगुण्डा। एक अइसन गांव, जऊन ह सलवाजुडूम के समय अड़बड़ हिंसा के दंश झेलिस। एक अइसन दंश जऊन हर जगरगुण्डा भर नहीं भलुक ए आसपास के चौदा गांव मन के एक पूरा पीढ़ी ल शिक्षा ले वंचित कर दीस, फेर अब इहां के आबोहवा बदलत हे। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के सरकार बनतेच अपरेल 2019 ले इहां पुननिर्माण के प्रक्रिया शुरू हो गीस अऊ जून महिना म वो स्कूल भवन मन के पुननिर्माण कर दे गीस , जऊन ल आज ले 13 साल पहिली नक्सली मन ह ध्वस्त कर दे रहिन। 24 जून ले इहां प्राइमरी ले लेके बारहवीं तक लइका मन के प्रवेश चालू हो गीस। इहां करीबन 80 लइका मन ह प्रवेश ले ले हे। मने तेरा साल के अंधियार के बाद शिक्षा के दीया फेर जल उठे हे।
जगरगुण्डा के पाछू तेरा साल के कहानी कोनो हॉरर फिल्म के कहानी ले कम नइ हे। जब सलवाजुडूम शुरू होइस त नक्सली मन ह ये आंदोलन ले जुड़े बहुत अकन गांव वाले मन के निर्मम हत्या कर दीन। जऊन बच गे रहिन, ओ मन ल गांव छोड़े बर मजबूर कर दे गीस। जगरगुण्डा आश्रम अऊ शाला मन के एक बड़े कैंपस ल तहस नहस कर दीन। आज घलोक स्कूल मन के खंडर दीवार मन म सलवाजुडूम विरोधी नारा अऊ जुडुम समर्थक मन ल चेतावनी लिखे हे। जब स्कूल भवन तोड़ देइन त लइका मजबूरी म 55 किलोमीटर दूर दोरनापाल के आश्रम म पढ़े चले गे। इहां स्कूल फेर खुल जाय के बाद दोरनापाल म पढ़त लइका मन ल वापस लाये जावत हे। अब तक पहली ले बारहवीं तक 80 लइका प्रवेश लेहे हें।
तेलम हड़मा, वर्षा गांव आकर खुश हे
कक्षा छठवीं के तेलम हड़मा अऊ कुमारी वर्षा जगरगुण्डा म स्कूल नइ होए के सेती पहली ले दोरनापाल के आश्रम म रहिके पढ़ाई करना परिस। ए मन ल घलोक दूसर लइका मन के जइसे दोरनापाल ले जगरगुण्डा शिफ्ट करे गीस हे। दुनों अपन गांव आके खुश हे। तेलम हड्मा ह बताइस कि वो बड़े होके गुरूजी बनना चाहत हे, जबकि कुमारी वर्षा डॉक्टर बनना चाहत हे।
गांव म उत्साह के माहौल
जगरगुण्डा म खंडर हो गे भवन फेर खड़े हो गे हे। रंगरोगन के संग शिक्षा के मंदिर फेर तियार हो चुके हे। लइका मन के शोरगुल ले परिसर गुंजायमान होवत हे त गांव के मनखे घलोक खुश हे। श्री बलराम मांझी ह बताइस कि सब कुछ तबाह हो गए रहिस। अब स्कूल खुल जाय ले गांव के रौनक फेर लहुट गए हे। श्री दुर्जन सिंह नाग ह बताइस कि गांव के सबो मनखे खुश हे। गांव के लइका अब गांव म ही पढ़हीं। उमन बताइस कि गांव म स्कूल नइ होए के सेती मोर लइका घलोक दोरनापाल म पढ़े हे। बड़े बेटा कॉलेज म पहुंच गए हे। छोटे बेटी प्रतिभा ये साल दोरनापाल ले पांचवी पास करे हे। गांव म स्कूल खुल जाय ले वो ये साल बेटी ल जगरगुण्डा स्कूल म भर्ती करा देहे हे। श्री अप्पाराव ह बताइस गांव स्कूल खुल गए हे। पानी घलोक मिलत हे। अब दोरनापाल तक सड़क के दरकार हे।
अस्पताल अऊ उप तहसील जल्दी शुरू होही
जगरगुंडा म 5 बिस्तर वाला अस्पताल जल्दी खुलही। एकर भवन बनके तियार हे। अइसहे तेरा साल पहिली बंद हो गे उप तहसील कार्यालय घलोक फेर ले शरू होही। सुकमा कलेक्टर श्री चंदन कुमार ह बताइस कि उप तहसील बर आदेश जारी कर देहे गे हे। एक हफ्ता म कार्यालय शुरू हो जाही। हफ्ता म तीन दिन उहां तहसीलदार बकइठही। उमन बताइस कि धीरे-धीरे दूसर सरकारी संस्थान मन ल घलोक जगरगुण्डा म शिफ्ट करे जाही।
बिजली ले घलोक जल्दी रौशन होही जगरगुण्डा
करीबन तीन हजार के आबादी वाला गांव बिजली नइ होए के सेती तेरा साल ले अंधियार म हे। सामरथ मनखे सौर ऊर्जा ले काम चलावत हें। अइसन नइ हे कि पहिली ये गांव म बिजली नइ रहिस, तेरा साल पहिली नक्सली मन ह अरनपुर ले जगरगुण्डा तक के बिजली के सब्बो खम्बा अऊ ट्रॉसफार्मर ल ध्वस्त कर दिए रहिन, तब ले ये गांव अंधियार म बूड़े रहिस, फेर अब गांव फेर बिजली के लाईन आ गए हे, सिरिफ घर मन म कनेक्शन देना बाकी हे।
राहत शिविर म घलोक राहत
साल 2006 म सलवा जुडूम के बाद जगरगुण्डा के ती-तखार के 14 गांव मन के करीबन 2200 मनखे मन ल इहां राहत शिविर म रखे गए रहिस। पूरा गांव चारो कोति ले कटीला तार ले घिरे हे। गांव म प्रवेश के दू ही दरवाजा हे, जेमां जवान मन के पहरा रहिथे। पाछू तेरा साल म इहां मनखे खुला जेल म रहे बर मजबूर रहिन, फेर शिविर के हालात घलोक सुधरत हे। माहौल म सुधार होए के बाद बहुत अकन ग्रामीण अपन गांव लहुटे हें। कुछ अइसन परिवार हे, जऊन दिन म अपन खेत मन म काम करे के बाद संझा फेर शिविर म लहुट आथें।