कोनो वकील अंगरेजी बोलथे त फीस अऊ इज्जत जादा काबर? – कानून मंत्री रिजिजू

अंगरेजी बोलइया अऊ जादा फीस लेवइया वकील मन के पक्ष म मै नई आंव
रिजिजू ह कहिन, में बिलकुल ये पक्ष म नइ हंव कि जऊन वकील अंगरेजी जादा बोलथे, ओला जादा इज्जत मिलय, वोला जादा फीस मिलय, ओला जादा केस मिलय … में एखर खिलाफ हंव। अपन मातृभाषा ल कोनो रूप म अंगरेजी ले कमतर नइ मानना चाही। कहूँ मोला अंगरेजी नइ बोले ल आय अऊ मोला मातृभाषा म बोलना सहज लागथे त मोला अपन मातृभाषा म बोले के आजादी होना चाही।
जयपुर म केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ह अदालत मन म स्थानीय अऊ क्षेत्रीय भाषा के उपयोग के पुरजोर वकालत करे हैं। पाछु सनिच्चर के उमन कहिन कि अदालत के भाखा कहूँ आम हो जाय, त हम कई समस्या मन ल हल कर सकत हन। उमन कार्यपालिका अऊ न्यायपालिका के बीच बेहतर तालमेल म जोर दीन अऊ कहिन कि न्याय के दरवाजा सबो बर समान रूप ले खुल्ला होना चाही।
रिजिजू इहां विधिक सेवा प्राधिकरणों के दू दिन के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र ल संबोधित करत रहिन। उमन कहिन, सुप्रीम कोर्ट म तो बहस ले लेके फैसला सब अंगरेजी म होथे। फेर हाई कोर्ट ल लेके हमर सोच हे कि ओमां आगू जाके स्थानीय अऊ क्षेत्रीय भाषा मन ल प्राथमिकता दे के जरूरत हे। उमन कहिन, कई वकील हे जऊन कानून जानथें फेर अंगरेजी म ओला सही ढंग ले पेश नइ कर पावयं। अदालत म कहूँ आम भाखा के उपयोग होए लगे तो एखर से कई समस्या हल हो सकत हे।
सुप्रीम कोर्ट म कुछ वकील 10 लाख तक लेथें फीस
मंत्री ह कुछ वकील मन के भारी भरकम फीस ल लेके घलोक टिप्पणी करिन। उमन कहिन, ‘जो मनखे अमीर होथे ओ मन अच्छा वकील कर लेथें। सुप्रीम कोर्ट म कई वकील अइसन हे, जिकर फीस आम आदमी नइ दे सकयं। एक-एक केस म हाजिर होए के कहूँ 10 या 15 लाख रूपिया लेंहीं, त आम आदमी कहां ले लाही?’ उमन कहिन, ‘कोनो भी अदालत कुछ विशिष्ट मनखे मन बर नइ होना चाही। आम आदमी ल अदालत ले दूर रखे वाले हर बात हमार बर बहुत चिंता के विसय हे। में हमेशा मानथंव कि न्याय के दरवाजा सब बर हमेशा अऊ बराबर खुले रहना चाही।’ रिजीजू ह कहिन कि सरकार ह अब तक 1486 बिन मतलब के कानून मन ल खारिज करे हे, संगेच अइसन अऊ 1824 कानून के चिन्हारी करे हे। उमन कहिन कि सरकार संसद के अवइया सत्र म अइसन करीबन 71 कानून ल हटाए के बाना उचाए हे।

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