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दुर्ग के साहेब मन किसान मन ल बतावत हें, पराली जलाए के दुष्प्रभाव

Parali Jalane ke dushprabhav

दुर्ग, दुर्ग जिला के कलेक्‍टर श्री अंकित आनंद के सियानी म दुर्ग जिला के सबो गौठान मन म साहेब मन ह बैठक लेवत हें तेमा गांव वाले मन ल पराली जलाए के दुष्प्रभाव के संबंध म घलोक बताए जात हे। पराली जलाए ले हवा तो प्रदूषित होथेच माटी म घलोक एकर बुरा असर परथे। पर्यावरण ले जुड़े संस्था डाऊन डू अर्थ के मुताबिक पराली जलाए ले एक सेमी तक मिट्टी के तापमान 33.8 डिग्री ले बाढ़के 42.2 डिग्री तक पहुंच जाथे। एखर से मिट्टी के स्वास्थ्यवर्धक बैक्टीरिया अऊ फंगल नष्ट हो जाथे ये बैक्टीरिया अऊ फंगल माटी के सेहत बर अड़बड़ अच्छा होथे अऊ इंकर नष्ट होए ले माटी के ऊर्वरा शक्ति घलोक कम हो जाथे। एखर संगेच कीरास मन ले लड़े के प्रतिरोध क्षमता घलोक पौधा मन के कम हो जाथे। डाऊन टू अर्थ के रिपोट के मुताबिक एक टन पराली जलाए ले 5.5 किलोग्राम नाइट्रोजन, 2.3 किलोग्राम फास्फोरस अऊ 25 किलोग्राम पोटैशियम अऊ 1 किलोग्राम सल्फर मिट्टी ह गंवा बइठथे।

अतका प्रदूषण हो सकत रहिस- अनुमान के मुताबिक एक टन पराली जलाए म हवा म तीन किलो कार्बन कण, 60 किलो कार्बन मोनो आक्साइड, 200 किलो राख, 1500 किलो कार्बन डाइआक्साइड, 2 किलो सल्फरडाई आक्साइड निकलथे। ए प्रकार ले 3 दिसम्‍बर के मंझनिया तक सकलाए पैरा के हिसाब ले, देखे जाय त 1119 क्विंटल पैरा बचाय ले एक दिन म वायु प्रदूषण कतका जादा थमही। एखर से हवा म 333 किलो कार्बन कण नइ घुलय। हवा म 6660 किलो कार्बन मोनो आक्साइड, 166500 किलोग्राम कार्बनडाइ आक्साइड, 22200 किलोग्राम राख, 222 किलो सल्फर डाई आक्साइड दुर्ग के वातावरण म नइ घुलय।

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