कोरबा, गाँव म मजदूरी करके कच्चा मकान म मुसीबत के संग जिंदगी गुजारत झूल सिंह अऊ वोखर पत्नी फुलकुँवर ल नइ लगत रहिस के ओ मन कभू पक्का मकान बना पांही। उमन ल कभू मजदूरी मिलय अऊ कभू नइ मिलय ले देके घर चलय अइसन म पक्का मकान बना पाना तो ऊंखर बर मुस्किल रहिस। जइसे-तइसे उमन अपन जिंदगी ल जीत रहिन। झूलसिंह अऊ वोखर पत्नी फुलकुँवर के घलोक सपना रहिस के ओखरो बने पक्की मकान होवय। जब ए मन ल पता चलिस के प्रधानमंत्री आवास योजना म ओखर नाम हे त इंखर खुसी के ठिकाना नइ रहिस। अपन जरूरी कागद मन ल जमा करके इमन पहली किश्त उठईन अऊ खुशी-खुशी अपन कच्चा मकान के भिथिया मन ल ढहा दीन जेमा उंखर दुख बसत रहिस। अब मजबूत नेंव के संग ओ मन के न सिरिफ पक्का मकान के भिथिया उंचत हे… भलुक उंखर खुसी ह घलोक पक्का होवत हे।
कोरबा शहर ले लगभग 90 किलोमीटर दूरिहा पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के दम्हामुड़ा के आश्रित ग्राम बोदरापारा म रहइया झूलसिंह मरपच्ची अऊ वोखर पत्नी फुलकुँवर ह बताइस के गाँव म मजदूरी के भरोसे घर चलथे। सीजन के संग कुछ वनोपज संग्रहण कर लेथें अऊ तेन्दूपत्ता घलोक तोड़के बेचथें। एखर से कुछ पइसा के इंतजाम हो जाथे। झूलसिंह ह बताइस के घर म दू लइका हे। उमन कई पीढ़ी ले कच्चा मकान म ही रहत आये हें। कच्चा मकान म बारिश के दिन म खपरा के बीच ले पानी चूहई अऊ कच्ची भिथिया मन के ओदरई आम बात रहिस। ऊंखर तिर पक्का मकान बनाए बर अतीक पइसा नइ रहिस। वो ह बताइस के प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे म जब ओ ल मालूम होइस त अइसन लागिस के सही म पैसा मिलही या नहीं। जब वोखर खाता म पहली किश्त के पइसा अईस त अड़बड़ खुशी होइस। अपन बनत पक्की मकान बर झूलसिंह अऊ फुलकुँवर ह प्रधानमंत्री अऊ मुख्यमंत्री ल धन्यवाद देवत हे।
पीएम आवास के बनत पक्की भिथिया मन म सजत हे परिवार के सपना
