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अम्बिकापुर जिला म पुरातात्विक अऊ सांस्कृतिक गरिमा के चिनहा

रामगढ़ प्राचीनतम नाट्यशाला अऊ मेघदूतम के रचनास्थली के रूप म विख्यात

अम्बिकापुर, 11अगस्त 2020। वइसे तो छत्तीसगढ़ म ऐतिहासिक, पुरातात्विक अऊ सांस्कृतिक महत्व के बहुत अकन जगा हे। सृष्टि बनइया ह छत्तीसगढ़ ल अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य ले नवाजे हे। दक्षिण कौशल के ये क्षेत्र रामायण कालीन संस्कृति के परिचायक रहे हे। ऐतिहासिक, पुरातात्विक अऊ सांस्कृतिक महत्व के अइसनहेच एक जगा रामगढ़, सरगुजा जिला म स्थित हे। सरगुजा संभागीय मुख्यालय अम्बिकापुर ले करीबन 50 किलोमीटर के दूरी म उदयपुर विकासखण्ड मुख्यालय के तीर रामगढ़ के पहाड़ी स्थित हे। दूरिहा ले ये पहाड़ी के दृश्य बइठे हाथी के जइसे प्रतीत होथे। समुद्र तल ले एखर ऊॅचाई करीबन 3 हजार 202 फीट हे।

महाकवि कालिदास के अनुपम रचना मेघदूतम के रचना स्थली अऊ विश्व के सबले जादा जुन्‍ना शैल नाट्यशाला के रूप म विख्यात रामगढ़ पर्वत के कोरा म ये ऐतिहासिक धरोहर ल संजोए रखे अऊ एखर संवर्धन बर हर साल आषाढ़ के पहिली दिन इहां रामगढ़ महोत्सव के आयोजन करे जाथे। प्राकृतिक सुंदरता ले भरपूर रामगढ़ पर्वत के खाल्‍हे कोति के शिखर म अवस्थित सीताबेंगरा अऊ जोगीमारा के गुफा मन प्राचीनतम शैल नाट्यशाला के रूप म प्रसिद्ध हे। ये गुफा मन तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व मौर्यकाल के समय के माने जाथे। जोगीमारा गुफा म मौर्य कालीन ब्राह्मी लिपि म अभिलेख अऊ सीताबेंगरा गुफा म गुप्तकालीन ब्राह्मी लिपि म अभिलेख हे। जोगीमारा गुफा म भारतीय भित्ति चित्र के सबले जुन्‍ना नमूना अंकित हे।

पुरातात्विक दस्‍तावेज मन के रूप म मूर्ति, शिलालेख अऊ ताम्रपत्र मन के बड़का महत्व होथे। रामगढ़ म अइसन महत्व के वस्तु मन हे। जोगीमारा गुफा म करीबन 8 मूर्ति संग्रहित हे। ए मूर्ति मन के आकार, प्रकार अऊ ऊंचाई अऊ आकृति मन के उत्कीर्ण करे के शैली ले स्पष्ट होथे हे के ये मूर्ति मन राजपूत शैली म बनाए गए हे। राजपूत शैली म मुह के उभार, ऊंचाई, लम्बा नाक, क्षीण कटि, नितम्ब मन के उभार, जांघ अऊ पिंडली मन के उन्नत्तोदर क्षेत्र अर्द्धकोणाकार पंजा आदि परिरक्षित होथे। मूर्ति मन के मुख मण्डल म चिंतन के मुद्रा राजपूत शैली ले अलग भाव भंगिमा लगथे। ए तथ्य मन ले ये मूर्ति मन करीबन 2 हजार साल पहिली के लागथे।

रामगढ़ पहाड़ी के उपरी हिस्सा म दू शिलालेख मौजूद हे। पथरा म नोक वाले छेनी ले काटके लिखे गए ए लेख के लिपि पाली अऊ कुछ-कुछ खरोष्टी ले मिलथे जुलथे। लिपि के खांटी जानकार मन ह एला एक मत ले पाली लिपि माने हें। ये म बने कमलाकृति रहस्यमय प्रतीत होथे। ये आकृति कम बीजक जादा जनाथे।

भगवान राम के रामगढ़ आए के प्रमाण आध्यात्म रामायण के अनुसार ये हे के महर्षि जमदग्नि ह राम ल भगवान शंकर के बान प्रास्थलिक देहे रहिन। जेखर उपयोग उमन रावण के विनाश बर करे रहिन। रामगढ़ के तीर महेशपुर वनस्थली महर्षि के तपोभूमि रहे हे। एखर से ये स्पष्ट होथे के वनवास के समय भगवान राम महर्षि जमदग्नि के आश्रम आए रहिन अऊ ऋषि के आज्ञा ले कुछ दिन तक रामगढ़ म वास करे रहिन।

रामगढ़ ल महाकवि कालीदास के अमरकृति मेघदूतम् के रचनास्थली तको माने जाथे। संस्कृति अकादमी भोपाल ह विशेष ध्यान देके रामगढ़ ल पुरातात्विक दृष्टि ले विशेष अध्ययन के केन्द्र बनाए रहिस हे। ए बात के प्रमाण हे के इहां करीबन 10 फीट ऊपर म कालीदासम खुदाए हे। तीनों शब्द मन ल एक कड़ी म पिरोए म आशय ये लगाए जाथे के कवि कालीदास ह मेघदूत के रचना इहें करे रहिन।

सीताबेंगरा के पाछू एक सुगम सुरंग हे, जऊन ल हाथी खोल कथें। एखर लम्बाई करीबन 180 फीट हे। एकर प्रवेश द्वार करीबन 55 फीट ऊंचा हे। एखर अंदर ले ही ये पार ले ओ पार तक एक नाला बोहाथे। ये सुरंग म हाथी आसानी ले आ-जा सकथे ए खातिर एला हाथी खोल कहे जाथे। सुरंग के भीतरेच पहाड़ ले रिसके अऊ आन भौगोलिक प्रभाव के सेती एक शीतल जल के कुण्ड बने हे। कवि कालीदास ह मेघदूत के पहिली श्लोक म जऊन यक्षश्चक्रे जनकतनया स्नान पुण्योदकेषु के वरनन करे हें वो सीता कुण्ड इही ये। ये कुण्ड के जल अड़बड़ निर्मल अऊ शीतल हे।

कालिदास युग के नाट्यशाला अऊ शिलालेख, मेघदूतम् के प्राकृतिक चित्र, वाल्मीकी रामायण के संकेत अऊ मेघदूत के आधार कथा के रूप म वर्णित तुम्वुरू वृतांत अऊ श्री राम के वनपथ रस्‍ता रामगढ़ ल माने जाथे। मान्यता ये हे के भगवान राम ह अपन वनवास के कुछ समय रामगढ़ म बिताए रहिन। रामगढ़ पर्वत के खल्‍हें कोति के शिखर म सीताबेंगरा अऊ जोगीमारा के अद्वितीय कलात्मक गुफा हे। भगवान राम के वनवास के समय सीताजी ह जऊन गुफा म आश्रय ले रहिन वो सीताबेंगरा के नाम ले प्रसिद्ध हे। इही गुफा मन रंगशाला के रूप म कला-प्रेमी मन बर तीर्थ स्थल हे। ये गुफा 44.5 फुट लंबा अउ एक तरफ 15 फुट चौड़ा हे। 1960 ई. म पूना ले प्रकाशित ”ए फ्रेश लाइट आन मेघदूत“ म ये सिद्ध करे गए हे के रामगढ़ (सरगुजा) ही श्री राम के वनवास स्थली अऊ मेघदूत के प्रेरणा स्थली ये।

सीताबेंगरा के बगल म ही एक दुसर गुफा हे, जऊन ल जोगीमारा गुफा कहिथें। ये गुफा के लम्बाई 15 फीट, चौड़ाई 12 फीट अऊ ऊंचाई 9 फीट हे। एखर भीतरी भिथिया अड़बड़ चिकन वज्रलेप ले प्लास्टर के हो गए हे। गुफा के छत म आकर्षक रंगबिरंगा फोटू बने हे। ए फोटू म तोरण, पत्र-पुष्प, पशु-पक्षी, नर-देव-दानव, योद्धा अऊ हाथी आदि के फोटू हे। ये गुफा म चारो कोति चित्रकारी के बीच म पांच युवति मन के फोटू हे, जऊन बइठे हें। ये गुफा म ब्रह्मी लिपी म कुछ पंक्ति उत्कीर्ण हे।

सरगुजा अपन अतीत के गौरव अऊ पुरातात्विक अवशेष मन के सेती भारत भर म नही, भलुक एशिया म घलोक अपन महत्वपूर्ण स्थान रखथे। सरगुजा चारो कोति अपन गर्भ म बहुत अकन ऐतिहासिक तथ्य ल संजोए हे। ए ऐतिहासिक अऊ पुरातात्विक स्थान मन म ले जऊन कुछ तथ्य प्राप्त होए हे, ओ मन ल देख सुनके उदुपहा भरोसा नइ होवय।

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