बेमेतरा म ई-रिक्शा के हेंडिल थामके जीवन के गाड़ी चलावत हे निर्मला

बेमेतरा, ई-रिक्शा चलाके पुरूष मन के वर्चस्व तोड़े म कामयाब रहे हे, बेमेतरा के मुनिया, निर्मला, मंजू अउ प्रेमीन। इंकर सपना साकार होइस मुख्यमंत्री ई-रिक्शा सहायता योजना ले। श्रम विभाग कोति ले संचालित ये योजना के अंतर्गत हितग्राही मन ल 50 हजार रूपिया तक अनुदान देहे जात हे। कलेक्टर श्रीमती शिखा राजपूत तिवारी ह आज ई रिक्शा चलावत महिला मन ले सौजन्य भेंट करके उंखर हिम्‍मत बढ़ाईन।

संसाधन के अभाव म खुद ल स्थापित करे के जज्बा रखइया ल आखिर सफलता मिलथेच, चाहे रद्दा म कतकोन बाधा काबर न आवए। जरूरत हे अपन भीतर छिपे हुनर ल तराशके ओला उपयोग म लाय के। बेमेतरा विकासखण्ड के गुनरबोड़ म रहइया निर्मला वर्मा के उपर ये बात बिलकुल सटीक बइठथे। समाज के परम्परा अऊ वर्जना ल तोड़के सबो नकारात्मक दायरा ले बाहिर आके दुनों हाथ म ई-रिक्शा के हेंडिल थामे यात्री मन ल लाय-ले जाय म पुरूष मन सहिन मुनिया घलोक अपन भूमिका निभावत हे। संगेच परिवार के भरण.पोषण म अपन पति के संग बराबर के सहभागी बनत हे।

बेमेतरा के ग्राम सिंघौरी के श्रीमती मुनिया साहू के पति स्‍व. जगदीश साहू मेहनत मजदूरी करके अपन जीवन-यापन करत रहिस। मुनिया ह बताइस कि आज ले 5-6 साल पहिली कैंसर म ओकर पति के मौत होगे अउ उंखर उपर दुख के पहाड़ टूट गे। मुनिया ह हिम्मत ले काम लेत लइका मन के लालन-पालन बर ई-रिक्शा चलाना सीखिस, आज वो रोजेच 400 ले 500 रूपिया तक कमाई कर लेथे। वोकर परिवार म तीन लइका के अलावा सास घलोक हे। श्रम विभाग ले ई-रिक्शा मिले के बाद ये महिला हितग्राही के जीवन स्तर उंचा होय हे अऊ महिला सशक्तिगरण म बेमेतरा जिला म ये ह एक मिशाल हे। जेला देखके बहुत अकन महिला मन आत्मनिर्भर बने के उद्देश्य ले ई-रिक्शा लेके आत्मनिर्भर बने हें।

लउछरहा..