छत्तीसगढ़ के आदिवासी मन बर संजीवनी बनिस लघु वनोपज

  • महिला समूह मन 21 दिनों के लाकडाउन के संकट के घड़ी म घलोक 15 करोड़ के वनोपज सकेलिन

रायपुर, 18 अप्रैल 2020। कोरोना वायरस के संक्रमण अऊ ये विश्व व्यापी महामारी ले उपजे संकट के बेरा म मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के सुशासन अऊ कुशल प्रबंधन, समन्वय के ठोस नीति के सेती राज्य सरकार ह प्रदेश म वनोपज मन के संग्रहण अउ प्रसंस्करण के काम ह वनवासी मन बर संजीवनी साबित होवत हे। राज्य म करीबन 2 हजार करोड़ रूपिया के वनोपज के उत्पादन होथे, जेमां करीबन 900 करोड़ रूपिया के तेंदूपत्ता अउ 11 सौ करोड़ रूपिया के आन छोटे वनोपज जइसे- अमली, मउहा, चिरौंजी, लाख आदि के उत्पादन होथे।

प्रदेश म 12 लाख परिवार ले करीबन 15 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता के संग्रहण अउ भंडारण अवइया दू महिना म करे जाही। संग्राहक मन ल 4 हजार रूपिया प्रति मानक बोरा के हिसाब ले 6 सौ करोड़ रूपिया के पारिश्रमिक बांटे जाही। सरकार ह वनवासी मन के हित बर पउर साल ले एकर कीमत 2 हजार 500 रूपिया प्रति मानक बोरा ले बढ़ाके 4 हजार रूपिया प्रति मानक बोरा के निरधारित करे हे, जेखर से हर बछर 225 करोड़ रूपिया अकतहा पारिश्रमिक के वितरण होवत हे। जबकि छत्तीसगढ़ राज्य ले लगे झारखण्ड म 12 सौ 10 रूपिया, 15 सौ रूपिया तेलंगाना, 15 सौ रूपिया महाराष्ट्र, 25 सौ रूपिया उड़ीसा अऊ 25 सौ रूपिया मध्यप्रदेश म तेंदूपत्ता के दर निरधारित हे। एखर ले अकतहा छत्तीसगढ़ राज्य म तेंदूपत्ता व्यापार ले 238 करोड़ रूपिया के लाभ होय हे जऊन करीबन 10 लाख परिवार ल बांटे जाही। ये प्रकार से केवल तेंदूपत्ता व्यापार ले ही करीबन 850 करोड़ रूपिया 30 जून तक बांटे के योजना हे।

राज्य म अराष्ट्रीयकृत लघु वनोपज के व्यापार करीबन रूपिया 11 सौ करोड़ के होथे। अब तक ये व्यापार केवल निजी हाथ म रहिस। वनवासी मन ल वनोपज के सही दाम नइ मिलत रहिस। राज्य शासन ह समर्थन मूल्य म खरीदी के योजना ल सुदृढ़ करिस। सरकार ह पहिली केवल 7 वनोपज खरीदय तेला बढ़ाके 23 वनोपज कर दीस। पहिली ग्राम अउ हाट बाजार स्तर म कोनो खरीदी के व्यवस्था नइ रहिस। 3 हजार 500 गांव अउ 866 हाट बाजार मन म एनआरएलएम के तहत् गठित महिला स्व सहायता समूह मन अब वनोपज क्रय करे के व्यवस्था करत हें। 5 हजार 500 महिला स्व सहायता समूह म करीबन 5 हजार 5 सौ महिला मन लघु वनोपज के क्रय अउ प्राथमिक प्रसंस्करण के काम म जुटे हें।

कोविड-19 महामारी के 21 दिन के लाकडाउन म ए समूह मन ह करीबन 15 करोड़ रूपिया के 50 हजार क्विंटल वनोपज के खरीदी करे हें जेमां लाखों वनवासी मन ल लाभ मिलत हे। साल 2020 म समूह के माध्यम ले 100 करोड़ रूपिया के वनोपज क्रय करे के लक्ष्य रखे गए हे। समूह मन के ग्राम स्तर अउ हाट बाजार स्तर म मौजूदगी ले ही व्यापारी मन ल सबसे कम समर्थन मूल्य ले जादा मूल्य देना परत हे, जेखर से अन्‍य लघु वनोपज ले ही 200-250 करोड़ रूपिया राशि अकतहा संग्राहक मन ल मिलही। संग्रहित वनोपज ले राज्य म हर्बल अउ आन उत्पाद घलोक तियार करे जात हे। पहिली एखर बिक्री केवल संजीवनी केन्द्र ले होत रहिस, अब ये सीजी हाट के माध्यम ले आनलाईन घलोक बेंचे के व्यवस्था करे जात हे।

राज्य शासन ह ये घलोक निर्णय लेहे हे के तेंदूपत्ता व्यापार के जइसे आन लघु वनोपज के व्यापार ले लाभ प्राप्त होए के स्थिति म प्रोत्साहन राशि संग्राहक मन ल वितरण करे जाए। कोविड-19 महामारी ल देखत वनोपज संग्रहण म बहुत सावधानी बरते के निर्देश देहे गए हे। सोशियल डिस्टेसिंग, मास्क लगाना अउ समय-समय म हाथ धोए के व्यवस्था घलोक करे गए हे। 8 हजार स्व सहायता समूह के महिला मन के माध्यम ले 50 लाख मास्क बनाए जात हे जऊन वनोपज संग्राहक मन ल वितरित करे जाही। एकर से 8 हजार महिला मन ल 15 दिन म रूपिया 2 हजार प्रति महिला अकतहा आय घलोक होही। ये प्रकार राज्य म 30 जून तक लघु वनोपज के संग्रहण, प्रसंस्करण अउ प्रोत्साहन राशि के माध्यम ले करीबन 9 सौ करोड़ रूपिया के लाभ 12 लाख वनवासी मन ल मिलही।

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