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संस्कृति ले वैज्ञानिक सोच ल जोड़े के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के अद्भुत सोच हे माटी पूजन दिवस

रायपुर, अक्षय तृतीया (अकती) के दिन ल माटी पूजन दिवस के रूप म ये पईत मनाए जाही। संस्कृति ले वैज्ञानिक सोच ल जोड़े के ये मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के अद्भुत सोच ये। सरकार अऊ राजनीति हाल के समस्या या अवईया पांच-दस साल के समस्या मन ल सुलझाए के दिशा म योजना बनाथें। भविष्य के संकट ले निपटे के कोनो कारगर योजना उपर काखरो धियान नई जाए। एकर से हम कुछक बछर बर तो हम संकट ल हल कर लेथन फेर दसेक बछर बाद वो समस्या एतका विकराल हो जाथे जेकर समय ओखर निदान संभव नइ हो सकय। पेयजल के बात लेवव, गर्मी म संकट आइस त आप बोरिंग ल अऊ गहिर खोदवा के पाइप बढ़ा देव। अइसनहे हरेक साल करत गे अंत म का होही, भूमिगत जलस्रोत सूखा जाही अऊ अइसन स्थिति होही कि जेखर निराकरण अऊबड़ कठिन हो जाही।
ये वाले सुखद बात हे कि छत्तीसगढ़ म मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल अइसन योजना चलावत हें जेन हमर समस्या ल कुछेक बछर भर बर दूर नइ करय, भलुक वोकर स्थायी इलाज करथे। नरवा योजना ल लेवव, मनखे मन के पेयजल के दिक्कत के अस्थायी तैयारी तो सरकार करते हे, स्थायी रूप ले संकट ल दूर करे खोतिर नाला मन के रिचार्ज उपर काम करे जात हे। जेन तेजी ले नरवा योजना उपर काम होवत हे, अवईया कुछेक बछर म प्रदेश म भूमिगत जल के स्तर तेजी ले बाढ़ही, सिंचाई के संकट घलोक दूर हो सकही।
भविष्य के एक दुसर भयावह समस्या माटी ल लेके दिखत हे। जइसे पंजाब अऊ हरियाणा म रासायनिक खाद के बिक्‍कट परयोग होय ले जमीन के ऊर्वरा शक्ति प्रभावित होइस, वइसनहे स्थिति आन प्रदेश मन बर अवइया हे। धीरे-धीरे रासायनिक खाद के परयोग बाढ़त जात हे। रासायनिक खाद वइसनहे हे जइसे हम अपन शरीर बर बाहरी सप्लीमेंट्स विटामिन या प्रोटीन आदि लेथन। डाक्टर ये नइ कहय कि सीधा सप्लीमेंट्स ले लव, वो एला जादा जरूरत परे म ही लेहे ल कथे, सामान्य स्थिति म वो कथे के नैचुरल सप्लीमेंट भोजन म बढ़ावव। अइसनहे बात साइल हेल्थ बर घलोक हे। रासायनिक खाद आर्टिफिशियल सप्लीमेंट्स के जइसे हे जेन फसल के वृद्धि जरूर करथे फेर जमीन के अपन प्रतिरोधक क्षमता के कीमत म। एखर से होथे ये कि कीरा मन के हमला फसल उपर बाढ़ जाथे अऊ कीटनाशक के खरचा बाढ़ जाथे। कीटनाशक के प्रभाव फेर माटी बर नकारात्मक होथे। ये प्रकार ले एक दुष्चक्र, माटी ल झेलना परथे। इहां ये जानना घलो जरूरी हे कि रासायनिक खाद ले उत्पादन तो जादा होथे फेर उपज के पोषक तत्व काफी कम हो जाथे। उदाहरण बर सौ साल पहिली एक संतरा कोनो पौधा म फरिस, ओखर तुलना आज के कोनो पौधा म फरे संतरा ले करव त पाहू कि ये मां पोषक तत्व करीबन 10 प्रतिशत ही रह गे हे। ये प्रकार हमन 10 संतरे के उत्पादन जरूर कर लन फेर एकर पोषक मूल्य पहिली के एक संतरा के बराबर ही हे।
केवल खतरा माटी के नइ हे। माटी ले रिसत पानी ले घलोक हे। भूमिगत जल प्रदूषित होवत हे। कहूं माटी म कार्बनिक तत्व बहुत मात्रा म होही त माटी पानी ल सोंखथे घलोक जादा अऊ दूषित भूमिगत जल रिचार्ज होत जाथे। माटी के संरक्षण नइ करे ले ग्लोबल वार्मिंग के घलोक बड़का खतरा हे। माटी म कार्बन जीवित पौधा के तुलना म तीन गुना अऊ वातावरण म मौजूद कार्बन के तुलना म दुगुना होथे। एकर मतलब साफ हे कि माटी ले कार्बनिक तत्व खतम होके वातावरण म पहुंचही, ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाही अऊ दुनिया के संकट बाढ़त जाही।
अइसन गंभीर परिस्थिति मन ले निपटे खातिर बड़का बदलाव, धीरे-धीरे उठाए जाथे ताकि किसान मन के आय के संतुलन प्रभावित होए बिना माटी के ऊर्वरता सुरक्षित रखे जा सकय। तेजी ले जैविक खाद के निर्माण छत्तीसगढ़ म होवत हे। किसान रासायनिक खाद के संग उचित अनुपात म जैविक खाद के उपयोग घलोक करत हें। धीरे-धीरे जैविक खाद के परयोग बाढ़त जाही। लगातार जैविक खाद के उपयोग ले माटी फेर अपन ऊर्वरा शक्ति के उंचहा जादा स्तर म पहुंचही अऊ ये किसान मन बर बहुत बेहतर स्थिति होही।
अकती जइसे परब म माटी पूजन के परंपरा जेन शुरू करे गए हे ओखर से माटी के सेहत ले जुड़े बारीकी मन ल समझे म सफलता मिलही। ये परबित परब के अवसर म शुरू करे गए ये अभियान माटी के सेहत बर जनअभियान म लउहेच बदल जाही। अभियान के बड़का खूबी ये हे कि केवल ये मां किसान सामिल नइ हे, ये मां विद्यार्थी घलोक सामिल हे। छत्तीसगढ़ के हर तबका ये अभियान ले जुड़ही अऊ तब अभियान के सार्थक संदेश जनजन तक पहुँच जाही।

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