जिला के 119 पीवीटीजी युवा बेरोजगार युवा मन ल मिलीस नौकरी
कोरबा, पहाड़ी कोरवा भोलाराम ह कभू साइकिल घलोक नइ चलाए रहिस। अपन परिवार म पीढ़ी दर पीढ़ी जंगल जाय के चले आवत परम्परा के मुताबिक वो बचपन ले जंगल आत जात रहिस। गांव म जब स्कूल खुलीस त वो ह कइसनहो तरा ले पहिली पांचवीं पास करिस, फेर 8वीं पास करके जीवनयापन बर छोट कन खेत म काम करे लग गे। एखरे बीच वोकर बिहाव हो गे, लइका हो गे अऊ म गरीबी अऊ आर्थिक समस्या ले घिरे पहाड़ी कोरवा भोला राम परिवार के जिम्मेदारी ल पूरा करे खातिर संघर्षों ले जूझे लगिस। आसपास काम मिल जाय म मजदूरी तहं तीर-धनुष लेके जंगल म शिकार करना अऊ घर के छोटे-छोटे जरूरत मन ल पूरा करना अउ मन मसोस के रखना जिंदगी के दिनचर्या म सामिल होत गे। वो कभू सोचे नइ रहिस के ओखर किस्मत एक दिन अइसन करवट बदलही के जिंदगी बदल जाही अऊ वो पहाड़ी कोरवा अतना सक्षम हो जाही के वो घर के जिम्मेदारी बने सही निभा पाही, स्कूटी म सफर कर पाही।
ये कहानी कोरबा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम कोरई के पहाड़ी कोरवा भोलाराम के हे। झोपड़ी म रहि के जीवन बसर करत पहाड़ी कोरवा भोलाराम के तकदीर अब वोखर पूर्वजों जइसे नइ रहीस। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के निर्देश म जिला के विशेष पिछड़ी जनजाति परिवार ल नौकरी ले जोड़के उनला आर्थिक रूप ले सक्षम बनाए बर जिला प्रशासन कोति ले करे गए पहल के परिणाम वोखर आर्थिक अऊ पारिवारिक समृद्धि के घलोक दुवार खोले लगे हे। कलेक्टर श्री अजीत वसंत ह जिला म निवासरत पीवीटीजी के सबो शिक्षित बेरोजगार युवा मन ल उंखर शैक्षणिक योग्यता के मुताबिक डीएमएफ ले जिला के विद्यालय, अस्पताल मन म खाली पद म नौकरी देहे के पहल करे गए हे। इही कड़ी म ग्राम कोरई के पहाड़ी कोरवा भोलाराम के नौकरी घलोक बांगो एरिया के माचाडोली के शासकीय उच्चतर विद्यालय म लगे हे। वो ह बताइस के अपन घर ले लगभग तीस किलोमीटर दूरिहा होए अऊ वो रद्दा म बस नइ मिले ले वो कई पइत समय म स्कूल नइ पहुंच पात रहिस। तब वो ह माचाडोली म अपन कार्यस्थल तीर रहे के व्यवस्था करे हे, फेर अवकाश म अऊ आन जरूरी काम परे म घर ले स्कूल तक सफर ल आसान बनाए अउर समय म ड्यूटी पहुंच पाय बर अपन तनखा ले कुछ राशि बचत करे हे। एखर बीच परिचित मन के माध्यम ले स्कूटी अऊ बाइक चलाना घलोक सीख गे।
लगभग दस हजार रूपिया डाउन पेमेंट करके वो ह किश्त म बैटरी वाले एक स्कूटी बिसाए हे। अब जबकि स्कूटी घर आ गए हे, पहाड़ी कोरवा अवकाश म अऊ आन जरूरी काम ले अपन कर्तव्य स्थल ले घर अऊ घर ले स्कूल तक आना जाना करत हे। माचाडोली के विद्यालय म चतुर्थ पद भृत्य के पद म नौकरी करत भोलाराम ह बताइस के उंखर पत्नी अऊ लइका ल लेके वो घूमे फिरे घलोक जाथे। वो ह बताइस के नौकरी मिले के बाद जिंदगी अब पहिली जइसे नइ रहीस। घर के पूरा सिसटम बदल गए हे। समय म खाना, समय म सोना, समय म स्कूल जाना होथे। घर के जरूरत अऊ जिम्मेदारी मन ल घलोक पूरा करे म नौकरी मददगार बने हे। ते पाए के परिवार घलोक खुश हे। भोलाराम के कहना हे कि वो बहुत आगू तक नइ पढ़ाई कर पाए हे, काबर के वो शिक्षा के महत्व ल नइ जान सके रहेन। आज वोखर नौकरी लगे हे त मालूम होवत हे कि जीवन म आगू बढ़े बर शिक्षा के कतका महत्व हे, एकरे सेती वो अपन समाज के मनखे मन ल जागरूक करत अपन लइका ल बने सहिन पढ़ाही। वोखर पत्नी प्रमिला बाई ह बताइस के वोमन कभू सोचे घलोक नइ रहिस के पति के संग स्कूटी म बइठके घूमे फिरे जाय के हमला मौका मिलही। अब स्कूटी आए म घर ले बाहिर कई पइत स्कूटी म बइठके जाथन। जानबा हे कि कोरबा जिला म पीवीटीजी के 119 युवा बेरोजगार युवा मन ल अतिथि शिक्षक, भृत्य, वार्ड बॉय के ए साल जुलाई महिना ले नौकरी देहे गए हे। खाली पद म अभी घलोक आवेदन लेके नौकरी देहे के प्रक्रिया जारी हे। नौकरी के बाद पीवीटीजी के जीवन स्तर म बदलाव आए लगे हे।