जन्म विवाह मरण गति सोई, जहाँ जस लिखा तहाँ तस होई- मानस चौपाई के ये सत्यता ल जतका सिद्दत ले हम स्वीकार नइ करे सकन ओतके हिम्मत ले एकर डर ल मन ले धुत्कार तको नइ सकन। मानस ल सबो सुनथे अउ सुनाथे। अंगरी गिनाए नइ पावय मनखे कमती पर जथे जऊन एला सुने-सुनाए के अलावा गुनथे, मनन करथे अउ अपन जिनगी म अपनाथे तको। मानस अउ कला के संगे-संग मानवीय बेवहार ल मन म रचा-बसाके जेन अपन जिनगी ल सुमन बना डारिन, वो मानस पुत्र रिहिन हे – सुमन लाल निर्मल।
सुमन निर्मल जी के जनम 21 जुलाई 1950 के पाटन म होए रिहिस हे। हायर सेकण्ड्री तक शिक्षा ग्रहण करे के पीछु उन षिक्षक के पद म बिराजमान होगे। लइकुषहेपन ले उन धार्मिक, उदार अउ कला के प्रति समर्पित रिहिन हे। एकरे चलते उन मानस मंच ले जुड़के मानस मंच के संचालन के संगे-संग मानस के व्याख्या करे लगिन। उन्कर कला यात्रा सिरिफ मानस के संचालन अउ व्याख्या तक सकेलाके नइ रिहिस।
उन सन 1980 म ‘उल्हवा पान’ लोक सांस्कृतिक मंच ले जुड़गे। तेकर पीछु पद्मभूषण तीजन बाई के सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘मनमोहना’ के सरलग चार बछर तक उद्घोषक रिहिन। सन 1996 ले ‘लोक दर्शन’ सांस्कृतिक कार्यक्रम के उद्घोषक रिहिन हे।
1998 ले उन पद्मभूषण अउ छत्तीसगढ़ के संगीत सम्राट खुमान साव के सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘चंदैनी गोंदा’ ले उद्घोषक रूप म जुड़िन, तेन सरलग 16 बछर तक अपन सेवा देते रिहिन। ‘चंदैनी गोंदा’ परिवार संग जुड़के उन प्रगति मैदान दिल्ली के संगे-संग देष के अबड़ अकन गाँव अउ शहर म अपन सुग्घर बानी अउ छत्तीसगढ़ के धानी खुश्बू ल बगराइन।
लोक कला दल संग इलाहाबाद सांस्कृतिक जोन के अंतर्गत राजस्थान म तको कार्यक्रम के प्रस्तुति दिन, जेमा जयपुर, अजमेर, पुष्कर, बूंदीगढ़, चित्तौड़गढ़, कैरोली, सपोटरा असन कतकोन अकन नामी जगा हावय, जिहाँ उन ल अपन उद्घोषण कला के जादू बगराए के सौभाग्य मिलिस।
‘चंदैनी गोंदा’ संग राजिम महोत्सव, भिलाई लोक कला महोत्सव, शिवरीनारायण कला महोत्सव, लोक मंड़ई डोंगरगढ़, लोक मंड़ई ठेलकाडीह, लोक मंड़ई अहिवारा, चिखला माइन्स बालाघाट, तालागाँव लोक महोत्सव मन म भाग लिन। कोनो भी कार्यक्रम म मंच ल बाँधके राखे म सबले बड़का अउ पोठ भूमिका कार्यक्रम के उद्घोषक के होथे। सच कहे जाय त कार्यक्रम के तरलता, तारतम्यता अउ सफलता खातिर मंच के असल खेवनहार उद्घोषक होथे। जेला उन जिनगी भर बखूबी निभाइन।
उन जिनगी भर मंच अउ कार्यक्रम ल अपन परिवार बरोबर मानिन अउ परिवार के कर्मठ सदस्य के रूप म ओला निभाइन तको। अतके भर नहीं उन ओतके जिम्मेदारी के संग अपन घर-परिवार के फर्ज ल तको निभाइन। जस नाम तस गुण ल धरके ही उन अवतरे रिहिन हे। सु $ मन = सुमन माने जेकर मन सुन्दर हो। हिन्दी म फूल के एक पर्यायवाची सुमन होथे। फूल तो कतको होथे फेर जेमा सुगन्ध होवय उही सुमन कहाए के अधिकारी होथे।
उन सही मायने म घर, परिवार अउ समाज के सुमन रिहिन हे। मानस के गुन ल अंतस म आत्मसात करके रखे सुमन जी सरिदिन काहय – ‘मैं अपन जीयत भर घर -परिवार ल संगे म रखहू, सकेल के रखहूँ, टूटन-बिखरन नइ देववँ। आगू के बात आगू देखे, गुने अउ करे जाही।’ ये बात ल उन बिगर कोनो लाग-लपेट, बिगर कोनो देखावा अउ बिगर कोनो जताए-बताए भरपूर ईमानदारी के संग जीयत भर निभाइन।’
‘मुखिया मुख सो चाहिए, खान पान को एक, पालय पोसय सकल अंग, तुलसी सहित विवेक’ – मानस के ये चौपाई ल पाई -पाई म निभावत अउ जीयत उही ल देखेवँ। उन मानस के हरेक चरित्र ल अपन जिनगी म उतारे के उदीम करिन अउ उही चरित्र के माध्यम ले परिवार के बीच प्रेरणास्पद चित्र उकेर के जिनगी के पाठ पढ़ावत रिहिन। सही मायने म उन मानस के सच्चा सपूत रिहिन हे। लोगन ओला बानी अउ बचन दूनो के धनी मानय।
मार के सिखाए अउ प्यार से सिखाए शिक्षा के फलीभूत होए म जमीन-अकास के अन्तर होथे। प्यार के शिक्षा के जर सरग अउ डारा-पाना हँ अकास तक बगरथे, फुलथे अउ फरथे। असल शिक्षक जिनगी के हरेक मोड़, हरेक बेरा अउ हरेक परिस्थिति म जिनगी के पाठ पढ़ा जाथे। ग्रहण करना अउ ओला बेवहार म लाके अपन जिनगी के रद्दा सँवारना चेला ऊपर निर्भर करथे कि उन कतेक अकन ल अपनाइस अउ कतेक अकन ल बोहा दिस।
निर्मल जी स्कूली विषय मन के शिक्षा के अलावा बेवहारिक शिक्षा के एक भरापूरा सँऊहत पाठशाला रिहिन हे। उन अपन असल बेवहार ले जिनगी के पाठ पढ़ाने वाला गुरूजी रिहिन हे। उन ल लोगन गुरूजी के नाम ले ही जानिन अउ मानिन। कोनो मनखे ल अपन ठिहा अउ पता -ठिकाना बताए बर उन ‘लैण्डमार्क’ रिहिन हे।
शिक्षक रहिते उन ल दू पइत षिक्षक सम्मान, मानस मयंक सम्मान के संगे संग अबड़ अकन लोककला मंच के आयोजक मन ले सम्मान अउ चिन्हारी पत्र मिलिस। मानस के व्याख्या खातिर तको उन गजब अकन सम्मान अउ चिन्हारी पत्र पाए रिहिन हे।
8 अप्रेल 2022 के उन एक ठिन भागवत कार्यक्रम ले गृहग्राम कुरूद भिलाई आवत रिहिन हे, उम्दा भिलाई म उन्कर दूचकिया ल कोनो ठोकर मारके भागगे, जेमा उन्कर जेवनी जाँघ अउ गोड़ ल चोट लगे रिहिस हे। ओकर इलाज बीएम शाह अस्पताल म चलत रिहिस हे।
उन अस्थमा के तको रोगी रिहिन हे। पाँव अउ जाँघ के चोट ले तो उबर गे फेर अस्थमा ले नइ लड़े सकिन। 30 अप्रेल 2022 दिन शनिच्चर के बिहनिया-बिहनिया राम नाम अनुरागी सुमन जी श्रीराम पद अउ ओकर धाम के अनुगामी होगे।
गिर अउ टूटके तको महकते रहना सुमन के विशेषता होथे। आज सुमन जी जिनगी के डार ले टूटके अलग हो गेहे फेर ओकर सुगन्ध हमर अंतस, घर, परिवार अउ समाज म रचे -बसे हावय, जेला हम कभू नइ बिसरा सकन। हमार फर्ज बनथे कि ओकर सुरता के सुगंध ले अपन जिनगी के वातावरण ल महकावत राहन, ओकर बताए रद्दा म चलत राहन।
जय जोहार !!
धर्मेन्द्र निर्मल