- ‘जलवायु संवेदनशील विकास’ म अंतर्राज्यीय कार्यशाला म सामिल होइन मुख्यमंत्री, पंचायत मंत्री श्री सिंहदेव अऊ वन मंत्री श्री अकबर
- मध्य भारत म जलवायु बदलाव के चुनौती मन ले निपटे खांटी जानकार के संग मंथन
रायपुर, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ह कहिन हे कि जलवायु बदलाव के चुनौती मन ले पूरा विश्व जूझत हे। वैज्ञानिक, विशेषज्ञ, सरकार, नागरिक संगठन अऊ पढ़ईया लईका मन के संग सबो वर्ग मन के मनखे ए चुनौती मन ले निपटे के उपाय मन उपर काम करत हें। उमन कहिन कि छत्तीसगढ़ के नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना इहां के गांव मन ल समृद्ध बनाए के संग पर्यावरण रक्षा के घलोक योजना ये। मुख्यमंत्री ह आज इहां नवीन थिरावन भवन म ‘मध्य भारत शुष्क क्षेत्र के जलवायु संवेदनशील विकास’ विसय म आयोजित अंतर्राज्यीय कार्यशाला म ये बात कहिन। पंचायत अऊ ग्रामीण विकास मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव अऊ वन, गृह अऊ पर्यावरण मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ह घलोक कार्यशाला ल संबोधित करिन। बिलासपुर के विधायक श्री शैलेष पाण्डेय घलोक ये मौका म उपस्थित रहिन। कार्यशाला म मध्य भारत म जलवायु बदलाव के चुनौती मन ले निपटे खांटी जानकार मन ह दिन भर मंथन करिन।
पंचायत अऊ ग्रामीण विकास विभाग कोति ले छत्तीसगढ़ राज्य जलवायु बदलाव केन्द्र अऊ इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर क्लाइमेट रेजिलिएन्ट ग्रोथ (ICRG) के सहयोग ले ये एक दिवसीय अंतर्राज्यीय कार्यशाला के आयोजन करे रहिस। ये मां छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश अऊ महाराष्ट्र के भाग लेवईया मन के संग पंचायतीराज संस्था मन के जनप्रतिनिधि अऊ नागरिक संगठन मन ह घलोक हिस्सा लीन। कार्यशाला म चार सत्र म बहुपक्षीय चर्चा के बाद मध्य भारत म जलवायु बदलाव अऊ अनुकूलन अऊ जलवायु जोखिम के तहत जल संसाधन मन के प्रबंधन अऊ ये मां सिविल सोसाइटी नेटवर्क के भूमिका के बारे म भावी कार्ययोजना के रूपरेखा तियार करे गीस।
कार्यशाला ल संबोधित करत मुख्यमंत्री श्री बघेल ह कहिन कि सुराजी गांव योजना के माध्यम ले जैविक खेती ल बढ़ावा देहे जावत हे। नरवा, गरवा, घुरवा, बारी के संरक्षण अऊ संवर्धन ले भूजल स्तर म सुधार, पशुपालन व टिकाऊ कृषि जइसे पर्यावरण हितैषी काम करे जात हे। रासायनिक खाद अऊ कीटनाशक मन के परयोग ले होवइया बीमारी मन अऊ मृदा व खेती म पड़त दुष्प्रभाव मन ले घलोक एखर से बचे जा सकत हे। मुख्यमंत्री ह भाग लेवईया मन ले कहिन कि ओ मन घलोक अपन-अपन जगा म ग्राम स्वावलंबन के ये योजना ल लागू कर सकत हव। उमन कहिन कि जलवायु बदलाव के सबले जादा दुष्प्रभाव सबसे वंचित मनखे मन, छोटे अऊ सीमांत किसान मन अऊ भूमिहीन मजदूर मन उपर पड़त हे। विकास के सीढ़िया चढ़े के संग हम अपन आंचलिक विशेषता मन ल घलोक आगू बढ़ाना चाही।