सीताबाई ह बांस ले बनावत हे रंग-रंग के जिनिस, उही ह वोकर जीविका के साधन

आन राज्य मन म दुकान लगाके कमावत हे 8 ले 9 हजार रूपिया हर महिना

नारायणपुर, नारायणपुर जिला मुख्यालय म संचालित बांस शिल्प केन्द्र ह कई अइसे मनखे मन ल आसरा देहे हे, जेन ल माओवादी मन ह ऊंखर गांव, घर ले निकाल देहे रहिस। घोर नक्सल प्रभावित ओरछा (अबूझमाड़) विकासखंड के ग्राम गुमियाबेड़ा म रहइया सीताबाई सलाम के बेटा के हत्या पहिली नक्सली मन कर देहे रहिन अऊ सीता ल गांव ले बाहिर निकाल देहे गए रहिस, ओला नारायणपुर आके सहारा मिलीस। नारायणपुर म सबले बड़े समस्या रहिस, रोजी-रोटी अऊ रहे बर मकान के। इहां आके सीताबाई ह कुछ दिन तक मेहनत मजदूरी करिस अऊ अपन जीवन जइसे-तइसे चलाए लगिस। आदिवासी अंचल म रहे के सेती ओला बांस ले कुछ सामान बनाए के अनुभव रहिस। ओ ह नराएनपुर के बांस शिल्प म आके बातचीत करिस। बांस शिल्प केन्द्र के प्रबंधक ह ओखर हुनर ल निखारे बर 2010 म प्रशिक्षण प्रदान करिस। प्रशिक्षण पाए के बाद सीताबाई ह बांस ले बने चीज मन के निर्माण ल ही अपन जीविका के साधन बना लीस।
बांस शिल्प ले रोजगार मिले के बाद वो इही काम म रम गे। सीताबाई ह बताइस कि वो बांस ले तियार होवइया लेटर बाक्‍स, पेन स्टैंड, ट्रे, टोकरी, गुलदस्ता, टीव्ही स्टैंड, सोफा, टेबल, कुर्सी आदि बनाथे। आदिवासी अंचल के कलाकृति ए चीज मन म होए के सेती आन राज्य मन म ए चीज मन ल अच्छा प्रतिसाद मिलज हे। सीताबाई ह बताइस कि बांस शिल्प केन्द्र ह शासन के योजना इंदिरा गांधी गृह योजना के तहत् ओला मकान देहे गए हे। एखर संगेच बांस शिल्प म तियार सामान ल बेचे बर वो देश के राजधानी दिल्ली, चंडीगढ़, गुजरात, नागपुर, भोपाल सूरजकुण्ड संग प्रदेश के राजधानी रायपुर अऊ भिलाई, दुर्ग, चित्रकूट संग प्रदेश म आयोजित होवइया महोत्सव मन म घलोक दुकान लगाके बनेच कमई करत हे, जेखर से ओला हर महीना करीबन 8 ले 9 हजार रूपिया के आमदनी हो जाथे। एखर संगेच तियार सामान ल वो बांस शिल्प म घलोक दे देथे, जेखर उचित मूल्य ओला बांस शिल्प कोति ले दे देहे जाथे।

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