- मुख्यमंत्री ह करिस राज्य स्तरीय परम्परागत वैद्य सम्मेलन सह प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारम्भ
- राज्य भर ले करीबन एक हजार वैद्य सामिल होइन
रायपुर, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ह कहिन हे कि छत्तीसगढ़ के परंपरागत वैद्य मन के ज्ञान ल लिपिबद्ध करे, जड़ी बूटी मन के संरक्षण- संवर्धन अऊ वैद्य मन के ज्ञान के लाभ पूरा समाज तक पहुंचाए बर छत्तीसगढ़ म ट्रेडीशनल मेडिसिन बोर्ड के गठन करे जाही । मुख्यमंत्री ह आज राजधानी रायपुर स्थित पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के सभागार म ‘राज्य स्तरीय परम्परागत वैद्य सम्मेलन सह प्रशिक्षण‘ कार्यक्रम म ये घोषणा करिन। ये आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग, राज्य औषधि पादप बोर्ड, लघु वनोपज संघ अऊ वन विभाग के तरफ ले संघरा करे गए रहिस। कार्यक्रम के अध्यक्षता वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ह करिन। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के अध्यक्ष श्री भरत साय अऊ मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा विशेष अतिथि के रूप म कार्यक्रम म उपस्थित रहिन।
परंपरागत औषधि बोर्ड वैद्य मन के ज्ञान के दस्तावेजीकरण करके लिपिबद्ध करे के काम करही। ये बोर्ड के प्रमुख काम रइही। मुख्यमंत्री ह कहिन कि छत्तीसगढ़ म हजारों बछर ले वैद्य मन जड़ी-बूटी ले परंपरागत ढ़ग से इलाज करत हें, फेर ये परंपरा आज पिछड़ गए हे, काबर के हमन अपन ज्ञान के दस्तावेजीकरण नइ करेन अऊ ज्ञान ल बांटेन नहीं। वैद्य के संगेच ओखर ज्ञान घलोक खतम हो गीस। उमन कहिन कि छत्तीसगढ़ वन संपदा ले भरपूर हे अऊ हमार वन मन म वनौषधि मन के विशाल भंडार हे। ग्रामीण बहुमूल्य जड़ी-बूटी मन ल हाट- बाजार म पसरा म औने पौने दाम म बेच देथें। राज्य सरकार के ये घलोक उदीम हे कि मनखे मन ल जड़ी बूटी के सही मूल्य मिलय। श्री बघेल ह कहिन कि जइसे एलोपैथिक डॉक्टर एमबीबीएस के बाद मेडिसिन म एमडी या सर्जरी म एमएस करके विशेषज्ञता हासिल कथें, वइसनहे कऊनों-कऊनों वैद्य विशेष बीमारी के इलाज करे म दक्ष हें, एखर घलोक जानकारी संकलित करे जाना चाही। छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अऊ पुरातात्विक स्थल सिरपुर म सुप्रसिद्ध रसायनज्ञ नागार्जुन रहत रहिन। इहां मेडिसिन कइसे बनाए जात रहिस, एखर घलोक प्रमाण मिले हे। आज वैद्य मन के ज्ञान अऊ जड़ी बूटी मन के संरक्षण अऊ संवर्धन करे के जरूरत हे। छत्तीसगढ़ के कऊन क्षेत्र म कोन से जड़ी बूटी प्रमुखता ले मिलथे, ये जानकारी घलोक संकलित करे जाना चाही। हो सकत हे अमरकंटक म जऊन वनौषधि मिलथे, वो बस्तर म नइ मिलत होही। मुख्यमंत्री ह कहिन कि सदियों ले छत्तीसगढ़ के पहिचान म्यूजिक, मेडिसिन अऊ मेटालर्जी ले रहे हे। सरगुजा ले बस्तर तक थोड़ थोड़ दूरी म संगीत अऊ लोक नृत्य के अलग-अलग समृद्ध परंपरा हे। सिरपुर म धातुकर्म के प्रमाण मिले हे।
वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ह कहिन कि वैद्य के अनुभव के लाभ जन-जन तक पहुंचय, इही उद्देश्य ले आज राजधानी रायपुर म राज्य स्तरीय परंपरागत वैद्य सम्मेलन अऊ प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन करे गए हे। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ह छत्तीसगढ़ के गौरवशाली अऊ समृद्ध परंपरा मन ल पुनर्जीवित करे के काम करे हें। हरेली तिहार ले एखर शुरुआत हो गए रहिस, तीजा, पोरा, भाई दूज अऊ गौरी-गौरा के तिहार उछाह ले मनाए गीस। ‘अरपा-पैरी के धार’ गीत ल राजगीत के दर्जा प्रदान करे गीस। छत्तीसगढ़ म राम वन गमन रस्ता ल पर्यटन के दृष्टि ले विकसित करे जाही। उमन वैद्य मन ल ये जानकारी घलोक दीन, कि छत्तीसगढ़ म संचालित कई ठन स्वास्थ्य योजना मन ल एकीकृत करके डॉ खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना चालू करे गए हे।
राज्य स्तरीय परम्परागत वैद्य सम्मेलन सह प्रशिक्षण कार्यक्रम म वन म मिलइया औषधीय पौधा मन के महत्व अऊ उपयोगिता अऊ लोक स्वास्थ्य परम्परा के 21वीं सदी के स्वास्थ्य व्यवस्था म स्थान, औषधीय पौधा मन म अभी हाल म होवत शोध काम मन जइसे विषय मन उपर विचार-विमर्श करे गीस।
कार्यक्रम म राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री अजय सिंह, प्रमुख सचिव वन श्री मनोज कुमार पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी, राज्य औषधी पादप बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री पी.व्ही. नरसिम्ंहाराव, छत्तीसगढ़ राज्य वैद्य संघ के सचिव श्री निर्मल कुमार अवस्थी ह घलोक अपन विचार व्यक्त करिन। कार्यशाला म व्याख्यान देहे बर जे.एन.यू. नईदिल्ली, सी.सी.आर.ए.एस. नई दिल्ली, एफ.आर.एल.एच.टी. बैंगलोर, क्षेत्रीय कार्यालय, एन.एम.पी.बी. जबलपुर, आई.जी.के.वी. रायपुर, आयुष विभाग छत्तीसगढ़ अऊ सीजीसर्ट रायपुर ले विसय खांटी जानकार ल आमंत्रित करे गए रहिस। ये कार्यशाला म राज्य भर ले करीबन एक हजार वैद्य सामिल होइन।