तुतारी –
काश ! ये भरोसा आम जनता कर पातिस।
अउ काश ! ये व्यवस्था सिरिफ अउ सिरिफ आम जनता बर नइ होके, सबो बर हो पातिस।
अब तो हर मनखे के मन म इहीच भाव पनपथे –
काकर करिन भरोसा ?
काबर करिन भरोसा ?
अउ कइसे करिन भरोसा ?
तुतारी –
काश ! ये भरोसा आम जनता कर पातिस।
अउ काश ! ये व्यवस्था सिरिफ अउ सिरिफ आम जनता बर नइ होके, सबो बर हो पातिस।
अब तो हर मनखे के मन म इहीच भाव पनपथे –
काकर करिन भरोसा ?
काबर करिन भरोसा ?
अउ कइसे करिन भरोसा ?