तुतारी – परेड थम्म….

अरे ! दूएच महीना भर दम धर लौ न रे भइया हो, ताहेन सरी दिन सरी राज तो तुँहरेच चलना हे।
अउ कभू तुमन ल काँही करे हवन जेन आज कर सकबोन। अउ लिखाके ले लेवव भविष्य म तको काँहिच नइ करे सकन।
हमन ल तो खाली परेड करना हे।
अरे !
जेकर सँइया भए कोतवाल।
कोन करही बाँका बाल।
जय लड्डुगोपाल ।

लउछरहा..