तिहारी – हमर सेठ टिकट के जुगाड़ म लगे हे, सुनब म आवत हे कि लगभग तय हे।
बिहारी – हमरो सेठ लगे हे बइहा। वोला कहूँ टिकट मिलगे न त पक्का निकाल लिही देखबे।
तिहारी – सिरतोन काहत हावस ?
बिहारी – अरे ! बिल्कुल। हमर सेठ ह न पइसा ल पानी के तरह बोहवाथे।
तिहारी – चुनाव म पइसा ल पानी के तरह बोहवाही त ओइसनेहे जीते के बाद गन्ना बरोबर पेरके जूस तको तो पीही। येला काबर नइ सोचस। सेठ ह सेठे मन देखही अउ गरीबहा मन ल देख मुँह अँइठही। पाछू बर जब छोछना भर बाँचही ताहेन तुँही मन कहिहू कोन ल जीतवा परेन यार।
बिहारी – हहो…! सिरतोन काहत हस भाई। फेर कोन ल देबे। सबो पार्टी म तो उहीच् हाल हे। एक ठिन पार्टी म छत्तीसगढ़िया मन के नामे निशान नइ हे। सबो के सबो बाहिरी हरे।
तिहारी – नोटा ल देखे भर बर देहे का ? ओला काबर नइ दबा सकव। पादके पछताए ले का लाभ ?
बिहारी – अरे ! बने सुरता देवाए भाई। अपन हाथ जगन्नाथ।