राज्य के 121 नगरीय निकाय मन म ’कृष्ण कुंज’ बर जगा के चयन करे गीस

कृष्ण जन्माष्टमी ले पीपर, बर जइसे सांस्कृतिक महत्त्व के पेंड़ मन के होही रोपण
शहरी वातावरण ल शुद्ध रखे अऊ सांस्कृतिक महत्व के पेंड़ मन ल सहेजे के अनोखा पहल

रायपुर, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पहल म छत्तीसगढ़ के सबो नगरीय क्षेत्र मन म ’कृष्ण कुंज’ विकसित करे जाही। कृष्ण कुंज म बर, पीपर, लीम अऊ कदंब जइसे सांस्कृतिक महत्व के जीवन उपयोगी पेंड़ मन के रोपण करे जाही। मुख्यमंत्री ह सबो कलेक्टर मन ल ’कृष्ण कुंज’ विकसित करे बर वन विभाग ल कम से कम एक एकड़ जमीन के आबंटन करे के निर्देश देहे हें। अब तक राज्य के 121 जगा ल ’कृष्ण कुंज’ बनाए बर चिन्‍हारी कर लेहे गए हे। वृक्षारोपण के तैयारी घलोक बड़ उछाह के संग करे जात हे। ये कृष्ण जन्माष्टमी ले पूरा राज्य म ’कृष्ण कुंज’ बर चिन्‍हारी करे गए जगा मन म पेंड़ मन के रोपण चालू करे जाही।

पर्यावरण के दृष्टि ले महत्वपूर्ण ये पेंड़ मन जैव विविधता अऊ इकोसिस्टम बर घलोक अहम हे। जिहां एक कोति प्राकृतिक औषधि के रूप म लीम ल सर्वोत्तम माने गए हे, त उहें बर ल ऑक्सीजन के खजाना घलोक कहे जाथे। हिंदू मान्यता के मुताबिक पीपर के पेंड़ म सबो देवी-देवता मन के वास होथे। मने कि ये कई गुण ले भरपूर हे। फेर शहरीकरण के दौर म हमार ये सांस्कृतिक धरोहर कहूं खोत जात हे। शहर मन म पेड़-पौधा ल बचाय, बेहतर इकोसिस्टम ल विकसित करे अऊ सांस्कृतिक महत्व के ए पेंड़ मन ल फेर गुलज़ार करे के मुहिम छत्तीसगढ़ म शुरू करे जात हे।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ह ‘कृष्ण-कुंज’ योजना के उद्देश्यों ल लेके कहिन कि, “वृक्षारोपण ल जन-जन ले जोड़े, अपन सांस्कृतिक विरासत ल सहेजे अऊ ओ मन ल विशिष्ट पहिचान देहे बर एकर नाव ‘कृष्ण-कुंज’ रखे गए हे। पाछू बछर मन म शहरीकरण के सेती होवत अंधाधुंध पेंड़ मन के कटई ले ए पेंड़ मन के अस्तित्व खतम होत जात हे। अवइया पीढ़ि ल ए पेंड़ मन के महत्व ले जोड़े बर ‘कृष्ण-कुंज’ के पहल करे जात हे।”
सांस्कृतिक विविधता मन ले परिपूर्ण छत्तीसगढ़ के हर एक पर्व प्रकृति अऊ आदिम संस्कृति ले जुड़े हे। इंकर संरक्षण बर ही इहां के तीज-तिहार मन ल आम मनखे मन ले जोड़े गए अऊ अब ‘कृष्ण-कुंज’ योजना के माध्यम ले ए सांस्कृतिक महत्व के पेंड़ मन ल सहेजे के अनुकरणीय पहल होवत हे। जेन अवइया पीढ़ि ल एक बेहतर कल कोति ले जाही अऊ एक नवा छत्तीसगढ़ के निर्माण म अपन भूमिका निभाही।

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