दुर्ग, 31 मई 2024, अभी के मौसम म दुधारू पशु मन ल झांझ-झोला (लू ) लगत हे एकर घरेलू इलाज जरूरी हे। पशु मन ल लू लगे म पानी म बर्फ डालव अउ बीमार पशु ल घेरी-बेरी ओ ठंडा पानी ले धोवव, या ठंडा पानी म बोरी या कपड़ा ल भिंजो के उंखर शरीर म रखव। जेखर से उंखर त्वचा के नीचे के नस सिकुड़ही अऊ पशु हीट स्ट्रोक ले बांचे रइही। रोगग्रस्त पशु ल ठंडा अउ खुला जगा म रखना चाही। रोगग्रस्त पशु के त्वचा ल मलना चाही जेखर से बुखार उतर जाथे अऊ शरीर के ऊपरी हिस्सा म ठंडा रक्त प्रवाहित होए लगथे। बीमार पशु ल पीए बर भरपूर पानी देना चाही। पशु के मूड़, घेंच अऊ रीढ़ के हड्डी ल सुरुज के किरन ले बचाना चाही। प्याज के रस अऊ जीरा पाउडर अऊ चीनी के सरबत बनाके पियाना चाही। हरियर आमा ल पानी म उबालके वोकर रसगूदा म नमक अऊ चीनी मिलाकर पीयाए ले अच्छा लाभ मिलथे।
झांझ-झोला (लू ) लगे के लक्षण – जेन पशु ल लू लगथे ओला शुरू म बैचेनी होथे, पशु उत्तेजित होथे, छटर-पटर करथे। कहूं लू के सान्द्रता कम हे त ओखर शरीर के कुछ विशिष्ट स्नायविक हिस्सा म लकवा तको मार देथे। ओला सांस लेहे म कठिनाई होथे या साँस के गति कम हो जाथे। कुछ पशु मन म सांस एकदमे बंद हो जाथे जेकर से पशु के मृत्यु हो जाथे। पशु मन के मस्तिष्क म खून के चढ़ जाए ले ऊंखर शरीर म खून के दबाव बाढ़ जाथे जेखर से ओ मन या तो लडख़ड़ात चलथें या जमीन म धड़ाम ले गिर जाथें। ओ मन ल झटका तको आथे। उमन ल जब बुखार चढ़ जाथे त अमन ल जबरदस्त थकान हो जाथे। उंखर चमड़ी सूख जाथे अउ प्यास बाढ़ जाथे ते पाए के उमन जादा मात्रा म पानी पीथे। ऊंखर शरीर के तापमान बहुत बाढे म ओ मन बेहोश तको हो जाथे आगू उंखर मृत्यु घलोक हो सकत हे, ते पाए के पशु मन ल झांझ-झोला (लू ) ले बचाए के उपाए करना चाही अउ जूड़ जगा म उमन ल रखना चाही।