रूंजू, मांदरी, दफरा, तोडी, कोडोड़का, कोपीबाजा, बांस बाजा, खल्लर जइसे वाद्य यंत्र मन के प्रदर्शन
रायपुर, बहुरंगी लोक वाद्य यंत्र युवा मन ल आकर्षित करत हे। ए वाद्य यंत्र मन के परंपरागत लोक नृत्य अऊ कई ठन सामाजिक उत्सव मन म प्रमुखता ले उपयोग होथे। युवा मन ल अपन संस्कृति ले जुड़े के घलोक मौका मिलत हे। साइंस कॉलेज मैदान म राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के अवसर म जनसंपर्क विभाग के छायाचित्र प्रदर्शनी म ए वाद्य यंत्र मन ल प्रदर्शित करे गए हे। ये प्रदर्शनी म प्रस्तुत पारंपरिक वाद्य यंत्र मन म फरक्का, सारंगी, चिकारा, रूंजू, मांदरी, मृदंग, दफरा, नंगाड़ा, तोडी, कोडोड़का, छड़ी, कोपीबाजा, बांस बाजा, खल्लर, हिर नांग, तंबूरा, मुंडा बाजा, कुतुर्गी, चटका, गुजरी, चरहे, ठोड़का, हुलकी, खनखना, बाना, नकडेवन, खजेरी, तुर्रा, मोहरी, गतका सामिल हे।
प्रदर्शनी म पहुंचे धमतरी जिला के ग्राम सिर्री निवासी श्री ऋतुराज ह कहिन प्रदर्शनी म छत्तीसगढ़ के पारंपरिक वाद्य यंत्र मन के झलक मिलत हे। बस्तर के आदिवासी परंपरा अऊ प्राकृतिक सौंदर्य ल घलोक बहुत ही आकर्षक ढंग ले प्रदर्शित करे गए हे। अभनपुर कालेज के पहिली साल के छात्र श्री गोपाल साहू ह घलोक जनसम्पर्क विभाग के प्रदर्शनी के सराहना करिस। ये प्रदर्शनी म छत्तीसगढ़ के जीव जंतु मन के विविधता ल घलोक जैव विविधता वाले खण्ड म सचित्र नाम संग बताइए गए हे। एखर अलावा तीज त्यौहार, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के छत्तीसगढ़ प्रवास, देश के आजादी म छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मन के योगदान ल स्मृति चित्र के रूप म सजाए गए हे। एकर से प्राकृतिक संसाधन मन ले समृद्ध छत्तीसगढ़ के प्रति मनखे सहज ही आकर्षित होवत हें। एखर से पर्यटन ल बढ़ावा मिलही। ये प्रदर्शनी इतवार 29 दिसम्बर तक चलही।