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महोत्सव के दूसर दिन उत्तराखंड के झींझीहन्ना लोकनृत्य संग रिंगी-चिंगी पहिरावा म मोहाईन देखईया

रायपुर, राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव म आज दूसर दिन भिनसरहा 9 बजें ले पारम्परिक तिहार, अनुष्ठान, फसल कटई अउर आन पारम्परिक विधा मन उपर आधारित लोकनृत्य प्रतियोगिता के शुरुआत होइस। ये श्रेणी के प्रतियोगिता के शुरुआत उत्तराखंड के झींझीहन्ना लोक नृत्य के संग होइस। ये पारंपरिक नृत्य थारू समुदाय के मनखे मन कोति ले करे जाथे। नवा फसल आए के उपलक्ष्य म क्वांर-भादो के महीने म गांव के घर-घर जाके महिला मन ये नृत्य करथें। झींझी नृत्य म करसी ल मूड म रख के हरेक घर ले पिसान अऊ चांउर के दान लेत सबो घर म झींझी खेले के बाद पिसान अऊ चांउर ल सकेल के झींझी ल एक दैवीय रूप मानके ओला सबो महिला मन विसर्जन करे बर नदी म जाथें अऊ ओला विसर्जन करके ओ पिसान अऊ चांउर के कलेवा बना के सबो मनखे मन खाथें।
अइसनहे हन्ना नृत्य ल थारू समाज के पुरुष मन करथें जेमां पुरुष वर्ग घर-घर जाके पिसान अऊ चांउर के दान लेथें। ये तिहार घलोक क्वांर-भादों म मनाए जाथे। एक मनखे हन्ना बनके गीत के मुताबिक नाचथे। हन्ना के संबंध देखे जाये त मारिच ले हे। उत्तराखंड के टीम ह दुनों ल मिलाके सामूहिक प्रस्तुति दीन।

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